हिन्दू कल्याण मंच केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक एवं धार्मिक आंदोलन है, जिसकी स्थापना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, विक्रम संवत् २०७३ को सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और समाज सेवा के उद्देश्य से की गई थी।
मंच का प्रमुख उद्देश्य हमारी आने वाली पीढ़ी को उनके धर्म, संस्कृति और नैतिक मूल्यों से जोड़ना है, ताकि वे श्रीराम, श्रीकृष्ण और अन्य धर्मपुरुषों के आदर्शों से प्रेरित होकर एक चरित्रवान, संस्कारित और जागरूक समाज का निर्माण कर सकें।
हम रामायण पाठ, रावण दहन, श्रीराम कथा, जन्माष्टमी, नवरात्रि जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से समाज में आध्यात्मिक चेतना और एकता का संचार करते हैं। साथ ही, बाल संस्कार शिविर, सेवा कार्यों और जनजागरूकता अभियानों द्वारा हम कुप्रथाओं का विरोध करते हुए धर्म की रक्षा में निरंतर लगे हैं।
गणपति विसर्जन है आस्था का सुंदर प्रतीक, सिखाता है हर आगमन के बाद होता है वियोग निश्चित। मूल उद्देश्य है मोह त्याग कर जीवन में आगे बढ़ना, और बप्पा से शक्ति पाना।
रामलीला है मर्यादा पुरुषोत्तम की कथा महान, सत्य, धर्म और न्याय का देती ये ज्ञान। अधर्म पर धर्म की होती इसमें विजय, संस्कारों का पाठ सिखाती है हर दिशा, हर जय।
रावण दहन है बुराई पर, अच्छाई की ये जीत। सच के रस्ते चलता जो, पाए सदा नव प्रीत। हर दिल में जले अहंकार, मिटे पाप की रीत। संघर्षों से जो ना डरे, वही बने नव मीत।
नरसिंह शोभा यात्रा में, श्रद्धा का स्वर गूंजे। हर गली नगर द्वार पर, भक्ति का दीप सजे। सिंह रूप भगवान चले, भक्तों का मन धरे। अधर्म पर विश्वास करे, धर्म की ज्योति जगे।
हिंदू नव वर्ष आए जब, मंगल संदेश मिले। संस्कृति की इस धारा में, आशा का दीप जले। नव संकल्पों से भरकर, जीवन नया बने। धर्म, करुणा, प्रेम लिए, हर दिन शुभता बहे।
बचपन से हो ज्ञान उन्हें, धर्म की रीत सिखे। संस्कारों के रंगों में, सच्ची प्रीति लिखे। गायत्री का जप करें, गीता से सीख मिले। सनातन के आदर्शों से, जीवन शुभता जले।
मंदिर से मंदिर जोड़ते, श्रद्धा के सेतु बने। भक्ति की इस यात्रा में, हर मन पावन तले। संघ का यह संगम करे, एकता दीप जले। धर्म स्थलों के बीच में, सांस्कृतिक पुल ढले।
मंदिर से मंदिर जोड़ते, श्रद्धा के सेतु बने। भक्ति की इस यात्रा में, हर मन पावन तले। संघ का यह संगम करे, एकता दीप जले। धर्म स्थलों के बीच में, सांस्कृतिक पुल ढले।
हिंदू संस्कृति, सनातन धर्म और सामाजिक जागरूकता को समर्पित हमारी सामाजिक कार्य यात्रा में रामलीला, रावण दहन, गणपति विसर्जन, नरसिंह शोभा यात्रा, बच्चों को संस्कार और मंदिरों को जोड़ने जैसे आयोजन शामिल हैं।
हर वर्ष हम गणेश चतुर्थी पर भक्ति-भाव से गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं और दसवें दिन विसर्जन का आयोजन करते हैं। यह कार्यक्रम समाज को त्याग, आस्था और नई शुरुआत का संदेश देता है।
रामलीला मंचन के माध्यम से श्रीराम के आदर्शों, सत्य और धर्म के महत्व को जन-जन तक पहुँचाया जाता है। यह हमारी संस्कृति को आने वाली पीढ़ी से जोड़ने का प्रभावी माध्यम है।
हर साल विजयदशमी पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण का दहन कर हम यह संदेश देते हैं कि अधर्म चाहे जितना भी बड़ा हो, जीत हमेशा सत्य की होती है।
भगवान नरसिंह की शोभा यात्रा, साहस और धर्मरक्षा की प्रेरणा देती है। यात्रा के दौरान पूरे नगर में भक्ति, अनुशासन और श्रद्धा का वातावरण बनता है।
हम हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हिंदू नव वर्ष का स्वागत करते हैं। यह आयोजन नव ऊर्जा, संकल्प और धार्मिक चेतना के साथ समाज में आशा का संचार करता है।
हमने बाल संस्कार शिविर, धार्मिक कथाएं और गीता पाठ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों में सनातन मूल्यों का विकास किया है। यह हमारी परंपरा को सुरक्षित रखने का महत्वपूर्ण कदम है।
हमारा यह अभियान मंदिरों को एक सांस्कृतिक धागे में पिरोने का कार्य करता है। इससे सामाजिक एकता और धार्मिक सौहार्द का वातावरण निर्मित होता है।